मेड बाइ माय वाइफ

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Dear Frds, Sorry if there are any grammatical errors.. Difficult to type in Hindi.. As I don’t have a proper Hindi pad! This post of mine can be best enjoyed in Hindi apart from Gujarati..so, I hope u all will like it.. Thank u. 

मेड बाइ माय वाइफ

दुनिया में कहीं भी जाए हम भारतीयों की एक ख़ासियत है, वह यह की,हम चाहे कहीं भी रहें अपने संस्कार और अपना भारतीय भोजन नहीं छोड़ सकते। हम में से कई लोग ऐसे है जिनको नौकरी या कारोबार से जुड़े हुए कारणों से भारत छोड़कर विदेश आना पड़ा हो। मेरी प्यारी सहेलियाँ,मेरे सगे-संबंधी सभी मेरी इस बात से ज़रूर सहमत होंगे की, लाखोपति की बेटी हो या करोड़पति की, अगर उसे साउदी अरब और उसमें भी यानबू आना पड़े तो वह खाना बनाने में एक्सपर्ट बन ही जाती है। उसका कारण यह है की शुद्ध शाकाहारी भोजन के नाम पर २-४ चीज़ें ही उपलब्ध है! २-५ साल यहाँ गुज़ारने पर  रेस्टोरेंट में जाते ही हमारी शक्ल देखकर शेफ़ ऑर्डर लेने ही नहीं आता!बल्कि सीधा खाना ही भिजवा देता है! ख़ैर,हम ठहरे भारतीय लोग, जब तक खाने में नित नये चटाकेदार व्यंजन न हो तब तक ‘पेट भरता है पर मन नहीं’! रोज़ शाम होते ही चाट, गोलगप्पे , भेल, वडा-पाँव इत्यादि व्यंजन नज़र के सामने दौड़ने लग जाते है! लेकिन इन ख़याली पुलावों पर कितने दिन निकल सकते है? इसलिए इसे हक़ीक़त का रुप देने के लिए पाक कला को उजागर करना ही पड़ता है। 
वैस खाना बनाना तो जैसे हर भारतीय नारी के ख़ून में ही है लेकिन साहब, ढेर सारे नौकर और दो-दो रसोइयों वाले घर को छोड़कर आइ हुइ बेटी या बहू को प्रेक्टिकल करने के मौक़े तो बहुत कम ही आए होते होंगे! लेकिन समय को ध्यान में रखकर यह गृहिणी सफल होने के मक्कम इरादे के साथ रसोइ मे अपना आगमन करती है, और इसतरह लक्ष्मी जी का सही मायनों मे रसोइ में गृह प्रवेश होता है! जिस तरह छोटा बालक पहेले धीरे-धीरे चलना और फिर दौड़ना सिखता है उसी प्रकार यह गृहिणी पहेले आसान से व्यंजन और फिर देश-विदेश के व्यंजन बनाना सिख जाती है!
लेकिन रसोई की महारानी बनने के इस सफ़र मे घर के सदस्यों का ..ख़ासकर पति और बच्चों का प्रोत्साहन भी दाद देने लायक होता है! शुरुआत के प्रयोगों में जलें हुए, बिना स्वाद के यहाँ तक कि कच्चे व्यंजन भी यह कहकर होसला बढ़ाते हुए खा लेते हैं कि ” तुम अपने प्रयासों को मत छोड़ना, अगली बार ज़रूर अच्छा बनेगा! जानी और महेसुस की हुइ इस आपदा की परिस्थिति में प्रोत्साहन भरें इन शब्दों को जब सुनती है, तो रसोइ की महा रानी बनने के इन प्रयासों में यह “भारतीय नारी कभी न हारी” के द्रिढ निश्चय के साथ आगे कूच करती है! यु-ट्युब पर के व्यंजनों के व्हिडिओज, व्यंजनों के टिव्हि शोज़, व्यंजन पुस्तकें, मित्रों की सलाह तथा बुज़ुर्गों का अनुभव ऐसी सभी चीज़ों को अपने प्रयासों मे जुड़ देती है! 
और आख़िर मे सजा हुआ सफल व्यंजन फिर से एक बार टेस्ट करने केलिए टेबल पर सजाया जाता है! लेकिन इस बार पति का प्रतिभाव कैसा रहेता होगा? “मेड इन इन्डिया” का टेग पढ़कर अपने ह्रदय में जो गर्व अनुभव होता है बस, वैसा ही अनुभव, व्यंजन के इस फ़ोटो को ‘फ़ेसबुक’ पर “मेड बाय माय वाइफ़” के ‘स्टेटस’ को ‘अपडेट’ करते हुए पति को होता हैं! 
– घाराभट्ट-येवले

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